स्वास्थ्य केंद्र को बंद किए जाने से भड़की आशाएं, की नारेबाजी

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नेशनल हेल्थ मिशन के तहत चल रहे शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को बंद किए जाने से आशाएं भड़क गई। आशाओं ने सिविल अस्पताल में इसको लेकर बैठक की। उन्होंने जमकर नारेबाजी करते हुए कड़ा विरोध जताया। आशाओं ने अस्पताल के सीएमएस के माध्यम से मुख्य चिकित्सा अधिकारी को ज्ञापन भेजा है। जिसमें उन्होंने बंद किए गए केंद्रों को खोलने की मांग की है।

पूरे प्रदेश में नेशनल हेल्थ मिशन के तहत 39 शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित हैं। इनमें से सात केंद्र रुड़की में स्थित हैं। रुड़की के इन सात केंद्रों से 114 आशाएं जुड़ी हुई हैं। आशाएं प्रतिदिन की तरह से केंद्रों पर पहुंची तो उन्हें केंद्र बंद मिले। जानकारी लेने पर उन्हें पता चला कि इन केंद्रों के लिए केंद्र सरकार की ओर से बजट जारी नहीं किया गया है। जिसके चलते इन केंद्रों को बंद कर दिया गया है।

केंद्र बंद होने से नाराज सभी आशाएं सिविल अस्पताल पहुंची। यहां पर पहले आशाओं की एक बैठक हुई। जिसमें आशाओं की अध्यक्ष शोभा भटनागर ने कहा कि केंद्र बंद होने से गरीब लोगों को इलाज नहीं मिल पाएगा। रविवार को भी कई गर्भवती महिलाओं और बच्चों को इलाज नहीं मिल पाया। उन्हें बिना उपचार के ही वापस लौटना पड़ा।

उन्होंने कहा कि इन केंद्रों के बंद हो जाने से आशाएं क्या करेंगी। क्योंकि आशाएं इन केंद्रों से जुड़ी हैं और गर्भवती महिलाओं और बच्चों का टीकाकरण कराती हैं। उनका कहना है कि अगर इन केंद्रों को नहीं खोला जाता है तो आशाएं आंदोलन को मजबूर होंगी। जरुरत पड़ने पर सड़कों पर उतरकर भी आंदोलन करेंगी।

स्वास्थ्य कर्मचारियों को नहीं मिला नौ माह से वेतन

शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात स्वास्थ्य कर्मियों को पिछले नौ माह से वेतन नहीं मिला है। उनकी ओर से भी तीन दिन पूर्व प्रदर्शन किया गया था। साथ ही वेतन न मिलने की स्थिति में एक अप्रैल से कार्य बहिष्कार की चेतावनी दी गई थी लेकिन राज्य सरकार ने केंद्र से बजट न मिलने के कारण एक अप्रैल से इन स्वास्थ्य केंद्रों को बंद कर दिया है।

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