ऊर्जा निगम को निजी हाथों में दिए जाने से उत्तराखंड ऊर्जा संविदा कर्मचारी संगठन भड़क गया है। संगठन ने सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर गंभीर आरोप लगाए। इस दौरान उन्होंने शीघ्र निर्णय वापस नहीं लेने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।
मंगलवार को उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन, उत्तरांचल बिजली कर्मचारी संघ, पावर इंजीनियर एसोसिएशन, आरक्षित ऊर्जा एसोसिएशन, पावर लेखा एसोसिएशन, हाइड्रो इंप्लाइज यूनियन, डिप्लोमा इंजीनियर, विद्युत प्राविधिक समेत कई संगठन ऊर्जा निगम के मुख्य कार्यालय रोशनाबाद में एकत्रित हुए। यहां उन्होंने एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया। इंटक के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट ने सरकार की मंशा पर विरोध जताया।
कर्मचारियों के साथ धोखा है सरकार का निजीकरण का फैसला
उन्होंने सरकार के निजीकरण के फैसले को कर्मचारियों के साथ धोखा बताया। कहा कि राज्य सरकार ने निगम को निजी हाथों में दे दिया है। उन्होंने कहा कि निजीकरण में न तो कर्मचारियों का हित है और न ही जनता का। कहा कि कर्मचारियों और जनता के साथ धोखा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। विद्युत संविदा कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष योगेंद्र विश्राल एवं प्रदेश महामंत्री मनोज पंत ने कहा कि एक ओर उच्च न्यायालय ने उपनल के माध्यम से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को 14 अगस्त 2014 से दैनिक वेतन भोगी मानते हुए नियमितीकरण समान कार्य के लिए समान वेतन दिए जाने के आदेश पारित किए हैं।
वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड शासन व निगम प्रबंधक न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए निजीकरण व्यवस्था के तहत संविदा कर्मचारियों के कार्यदिशा में परिवर्तन करने का प्रयास कर रही है। जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। कर्मचारी नेताओं ने कहा कि उत्तराखंड शासन एवं निगम प्रबंधन ने अगर टीडीएस कैश कलेक्शन प्राइवेट लिमिटेड मोहाली को दिए गए अनुबंध को निरस्त नहीं किया तो संगठन उग्र आंदोलन को बाध्य होगा।
इस मौके पर एपी अमोली, कविता, संजय चैधरी, फूल सिंह सैनी, चैधरी प्रीतम सिंह, इंद्रपाल सिंह, अमित बहुगुणा, राजीव कश्यप, सत्येंद्र कुमार, नरेश कुमार, अंकित सैनी, उमा दत्त जोशी, अनुज चैहान, श्याम सुंदर, सचिन कुमार, अमित राठी, मुकेश कुमार, प्रकाश जोशी और दीपक समेत कई लोग मौजूद रहे।