कनखल थाने में तैनात दो महिला कांस्टेबल न तो पैलेट गन के बारे में बता पाई और न ही गन को चला पाईं। बाद में सीओ और थानाध्यक्ष ने सभी को पैलेट गन के बारे में विस्तार से जानकारी दी और इस गन के उपयोग के बारे में बताया। सोमवार को कनखल थाने का छमाही निरीक्षण होना तय था। दोपहर में सीओ कनखल मनोज कत्याल थाने पहुंचे और निरीक्षण शुरू किया।
कनखल थानाध्यक्ष ने सभी को दिया प्रशिक्षण
उन्होंने पहले दंगे की मॉक ड्रिल कराई। उसके बाद उन्होंने महिला कांस्टेबल को पैलेट गन चलाने के लिए बुलाया। कांस्टेबल गन उठाकर देखती रही। सीओ ने गन लोड कर चलाने के लिए बोला तो महिला कांस्टेबल ने इनकार कर दिया। जिस पर उन्होंने एक अन्य महिला कांस्टेबल को बुलाया। दूसरी महिला कांस्टेबल भी इधर उधर देखती रही। अंत में सीओ मनोज कत्याल और कनखल थानाध्यक्ष अनुज सिंह ने सभी को प्रशिक्षण दिया। थानाध्यक्ष ने बताया कि उपद्रव करने वाले लोगों ने आंसू गैस का तोड़ निकाल लिया है।
बताया कि बवालियों को रोकने के लिए नॉन लीथल वेपन के तौर पर आंसू गैस के गोले छोड़े जाते है। उपद्रवियों में शामिल लोगों ने इसका जैसे तोड़ निकाल लिया है और कई बार देखा गया है कि वह पहले से तैयार रहते हैं। आंसू गैस का गोला फायर होने पर ये लोग उस पर गीले बोरे डाल देते हैं, जिससे उसका असर नहीं के बराबर हो जाता है। ऐसे में पैलेट गन का इस्तेमाल करना पड़ता है।
इसके एक बार फायर होने से सैकड़ों छर्रे निकलते हैं जो रबर और प्लास्टिक के होते हैं। ये जहां-जहां लगते हैं उससे शरीर के हिस्से में चोट लग जाती है। इससे दंगे में शामिल लोगों को पहचाने में आसानी होती है। लेकिन यह छर्रे आंख में लग जाए तो वह काफी घातक होता है। इसकी रेंज 50 से 60 मीटर होती है।