हर मोर्चे पर लड़ने में सक्षम है भारतीय सेना: आर्मी चीफ रावत

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सेना प्रमुख बिपिन रावत ने सैन्य आधुनिकीकरण के लिए बजट की कमी को लेकर उठ रहे सवालों के बीच साफ किया है कि भारतीय सेना के पास न सिर्फ पर्याप्त संसाधन हैं, बल्कि वह हर मोर्चे पर लड़ने में सक्षम है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सैन्य साजो-सामान की खरीद एकमुश्त नहीं की जा सकती। यह एक सतत प्रक्रिया है और समय-समय पर जरूरत के मुताबिक उसमें इजाफा किया जाता रहा है।

गढ़वाल राइफल्स ब्वायज व गर्ल्स हॉस्टल के लोकार्पण के लिए दून पहुंचे सेना प्रमुख ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हथियारों की खरीद की प्रक्रिया वैसी नहीं है, जैसी किसी अन्य वस्तु की होती है। एक निर्धारित प्रक्रिया से गुजरते हुए सैन्य साजो-सामान की खरीद की जाती है। इसमें कई साल लग जाते हैं। जैसे-जैसे सामान आता है, उसका भुगतान किया जाता है।

सेना के पास कई अचूक हथियार

रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति की उस रिपोर्ट से भी उन्हें इत्तेफाक नहीं है कि सेना के 68 फीसद साजो-समान संग्रहालय में रखने लायक हैं। मीडिया के इस सवाल पर उन्होंने उल्टा सवाल किया। उन्होंने पूछा कि क्या इन हथियार का इस्तेमाल नहीं हो रहा? उन्होंने कहा कि इन्हीं हथियार के साथ हमारे सैनिक हर मोर्चे पर दुश्मन पर बीस साबित हो रहे हैं। सेना के पास कई ऐसे अचूक हथियार हैं, जिनका पिछले दो-ढाई दशक से इस्तेमाल किया जा रहा है। सेना के पास कम दिनों का गोला-बारूद होने की बात को भी उन्होंने निरर्थक बताया।

सेना में महिलाओं की लड़ाकू की भूमिका के सवाल पर सेना प्रमुख ने कहा कि यह प्रक्रिया चल रही है। किसी भी प्रक्रिया को धरातल पर उतरने में समय लगता है। इस साल के अंत तक इसके परिणाम दिखने लगेंगे। शुरुआती चरण में महिलाओं को सरहद पर दुश्मन से दो-दो हाथ करने के बजाय मिलिट्री पुलिस के तौर पर तैनात किया जा रहा है।

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज को आर्म्ड फोर्सेस मेडिकल कॉलेज (एएफएमसी) में तब्दील किए जाने के सवाल पर जनरल रावत ने कहा कि इस संदर्भ में उत्तराखंड सरकार व सैन्य प्रबंधन के बीच वार्ता चल रही है।

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