बंद पड़े बार को खोलने का रास्ता साफ

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उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद होटलों, रेस्तरांओं व क्लबों में बंद पड़े बार को आखिरकार खोलने का रास्ता साफ कर दिया है। मंत्रिमंडल ने होटलों, रेस्तराओं व क्लबों में बार लाइसेंस को दी जाने वाली श्रेणी को बिक्री से हटाकर सेवा और आपूर्ति से जोड़ दिया है। साथ ही शराब की अवैध बिक्री, मिलावट और निर्धारित दर से अधिक वसूली समेत विभिन्न अपराधों के लिए जुर्माना राशि में तकरीबन बीस गुना तक इजाफा कर दिया है।

वहीं उद्योगों और जलमूल्य व सीवर शुल्क के बकायादारों को राहत दी है। उन्हें विलंब शुल्क में छूट देने के फैसले को मंजूरी दी गई। अगले माह जनवरी तक बकाया भुगतान करने पर विलंब शुल्क माफ होगा। मंत्रिमंडल ने उद्योगों को औद्योगिक उपयोग के लिए दिए जाने वाले डीजल और प्राकृतिक गैस पर वैट की दरें घटाने का निर्णय लिया है।

सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रीय राजमार्ग के 100 मीटर के दायरे में शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने के आदेश के बाद से राज्य में आबकारी से होने वाली आमदनी में सुस्ती से सरकार चिंतित है।

राष्ट्रीय राजमार्गों के इर्द-गिर्द होटलों, रेस्तरांओं और क्लबों में खोले जा सकेंगे बंद बार

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में उत्तराखंड में लागू उत्तरप्रदेश आबकारी अधिनियम, 1910 की धाराओं में संशोधन पर मुहर लगाई। इससे राष्ट्रीय राजमार्गों के इर्द-गिर्द होटलों, रेस्तरांओं और क्लबों में बंद बार खोले जा सकेंगे।

मंत्रिमंडल के फैसलों को ब्रीफ करते हुए सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि जलमूल्य और सीवर शुल्क के अवशेष देयों के एकमुश्त भुगतान पर विलंब शुल्क में छूट देने की योजना मंजूर की गई है। एक जनवरी, 2018 से 31 जनवरी, 2018 तक पूरा बकाया देने वालों से विलंब शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके बाद 15 फरवरी तक 75 फीसद, अगले 15 दिन पर 60 फीसद और अगले 15 दिन में बकाया भुगतान करने पर 50 फीसद विलंब शुल्क लिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में भी उद्योगों को औद्योगिक उपयोग के लिए दिए जा रहे डीजल व प्राकृतिक गैस पर वैट की दरें उत्तरप्रदेश की तर्ज पर की गई हैं। इससे उत्तरप्रदेश के बजाए अब उत्तराखंड से ही उद्योग डीजल और प्राकृतिक गैस ले सकेंगे।

वैट घटने से होने वाले नुकसान की भरपाई डीजल और प्राकृतिक गैस की ज्यादा बिक्री से दूर हो जाएगी। राज्य में उद्योगों को 20,127 किलोलीटर डीजल की आपूर्ति हो रही है। वैट की दरें ज्यादा होने से उद्योग उत्तरप्रदेश से डीजल और प्राकृतिक गैस की पूर्ति कर रहे थे। डीजल पर इस फैसले से राज्य को 8.83 करोड़ और प्राकृतिक गैस पर छह करोड़ की आमदनी का अनुमान है।

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