संजय दत्त की समय से पूर्व रिहाई के मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई में महाराष्ट्र सरकार ने दलील देते हुए कहा है कि ‘अगर संजय दत्त को पैरोल या फर्लो देने में किसी भी प्रकार के नियम तोड़े गए हैं तो सरकार को संजय दत्त को जेल भेजने में कोई एतराज नहीं है।’
वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार एक्टर के अच्छे बर्ताव को पैरोल के लिए मानदंड माने जाने पर एक नया हलफनामा पेश करे।आपको बता दें कि संजय दत्त को अवैध रूप से हथियार रखने के मामले में जेल हुई थी।
महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें अच्छे बर्ताव के लिए समय से काफी पहले रिहा कर दिया था।संजय दत्त की रिहाई को एक याचिका के जरिए चैलेंज किया गया है। इसके पहले भी बॉम्बे हाईकोर्ट में इस केस में सुनवाई हो चुकी है लेकिन तब महाराष्ट्र सरकार की तरफ से दी गई दलील से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ था।अब हाईकोर्ट ने इसी अच्छे बर्ताव पर रोशनी डालने को कहा है।
एक संजय और एक नीरजा
दिलचस्प है कि एक लड़की थी नीरजा, जिसकी कहानी हाल ही में लोगों ने देखी, 23 साल की उम्र में उसने लगभग 360 लोगों की जान बचाई थी और 33 साल की उम्र में संजय दत्त की एक नादानी मुम्बई को काला कर गई थीं…धमाकों के धुंए से! 257 लोगों की मौत के साथ!
संजय दत्त ने 33 साल की उम्र में बंबई बम ब्लास्ट से ठीक पहले काफी बड़ा कांड किया। ध्यान दीजिएगा संजय दत्त की उम्र उस वक्त 33 साल थी, तो क्या वो इतने नादान थे कि उन्हें समझ नहीं आया कि ऐसे वक्त में एके 56 राइफल वो किससे खरीद रहे हैं!
असलहा से राइफल तक
संजय दत्त ने अपने बयान में कहा था कि जब वो राइफल खरीद रहे तो कुछ लोगों ने उन्हें हैंड ग्रेनेड भी दिखाए। और पूछा भी कि क्या वो बारूद के गोले खरीदेंगे। इतने के बाद भी संजय ने पुलिस को इत्तिला करना ज़रूरी क्यों नहीं समझा!
संजय दत्त ने एक डीटेल छिपाई जिसका असर 12 मार्च को पूरी बंबई ने देखा जब 13 सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोगों की जान चली गई और करीब 750 लोग घायल हो गए।
आज भी मुंबई के हीरो!
कहते हैं ना कि इस देश की जनता का दिल बहुत बड़ा है। तभी तो इतने कांड करने के बावजूद संजय दत्त इस देश के हीरो हैं। लोगों के हीरो हैं। मुंबई के हीरो हैं। उस मुंबई के जिसके 257 लोगों की जान उनकी एक ‘नादानी’ ने ली थी! क्या ये स्टारडम संजय दत्त को काटती नहीं!