वेब सीरीज ‘तांडव’ पर कोर्ट ने राहत देने से किया इनकार

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Tandav Controversy: सैफ अली खान के मुख्य किरदार वाली वेब सीरीज ‘तांडव’ पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। विभिन्न राज्यों में इस वेब सीरीज के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने और जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करने के लिए एफआईआर दर्ज हुई हैं। बुधवार को मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म के कलाकारों को एफआईआर से राहत देने या अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि संविधान में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है।

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वेब सीरीज तांडव पर विवाद के मामले में ऐक्टर्स और मेकर्स ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए सभी एफआईआर को खारिज करने और अंतरिम जमानत की याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया है।

‘तांडव’ के मेकर्स और ऐक्टर्स की तरफ से याचिका दाखिल

सुप्रीम कोर्ट में ‘तांडव’ के मेकर्स और ऐक्टर्स की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी जिसमें उनके खिलाफ दर्ज मामलों में राहत देने और अंतरिम जमानत की मांग की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया और याचिकाकर्ताओं को हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील फली एस. नरीमन, मुकुल रोहतगी और सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क रखते हुए कोर्ट के समक्ष अर्णब गोस्वामी के केस का उदाहरण दिया। लूथरा ने कोर्ट से कहा कि सीरीज के डायरेक्टर का शोषण किया जा रहा है और क्या इस तरह देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा होगी। इसके जवाब में बेंच ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है और कुछ मामलों में इसे प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।

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फली एस नरीमन ने अपना तर्क रखते हुए कहा कि डायरेक्टर ने बिना शर्त लिखित माफी मांगी है और विवादित दृश्यों को हटा दिया है, उसके बावजूद 6 राज्यों में उनके खिलाफ कई एफआईआर दर्ज की गई हैं। इसके जवाब में जस्टिस भूषण ने कहा, ‘अगर आप एफआईआर को खारिज करना चाहते हैं तो राज्यों के हाई कोर्ट क्यों नहीं जाते हैं।’

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