कांग्रेस ने जारी किया हिमाचल के लिए घोषणा पत्र, ये रही खास बातें

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शिमला। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश के लिए आज घोषणा पत्र जारी कर दिया। घोषणा पत्र राजीव भवन शिमला में सुबह करीब साढे़ नौ बजे पार्टी के राज्य प्रभारी सुशील कुमार शिंदे, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, घोषणा पत्र कमेटी के अध्यक्ष कौल सिंह ठाकुर और कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सुखविंद्र सिंह सुक्खू संयुक्त रूप ने जारी किया।

कांग्रेस का इस घोषणा पत्र कर्मचारियों पर फोकस रखा गया है। बीते रविवार को भाजपा का विजन डॉक्यूमेंट जारी किया गया था, जिसके तीन दिन बाद बुधवार को कांग्रेस ने घोषणा पत्र को संशोधित फिर से तैयार किया था।

खास बातें:

– कांग्रेस ने मेधावी छात्रों को लैपट़ॉप देने की घोषणा की है।

– वहीं छोटे किसानों के लिए बिना ब्याज के कर्ज देने का वादा।

– हर गांव को सड़क से जोड़ने का वादा किया है।

– 2003 के बाद के भर्ती कर्मचारी को पुरानी पेंशन बहाल-2 साल में अनुबंध कर्मीियों को नियमित करने वादा

– 1 लाख युवाओं को नौकरी मिलेगी

– सभी वादे पांच साल के अंदर पूरा करने का वादा-एक लाख रुपये तक का लोन ब्याजमुक्त मिलेगा।

– राज्य में मजदूरों के न्यूनतम मजदूरी 350 रुपये होगी।

– बुजुर्गो को रिझाने के लिए उन्हें 1300 पेंशन देन का भी कांग्रेस का वादा है।

– राज्य में पंचायती राज का मजबूत करने के लिए और अधिकार दिए जाएंगे।

 BJP ने मजबूरी में धूमल को सीएम कैंडिडेट बनाया: कांग्रेस

– इस बीच कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा है, “बीजेपी ने प्रेम कुमार धूमल को राजनीतिक मजबूरी में सीएम कैंडिडेट बनाया है। मुझे नहीं लगता कि इससे कोई फर्क पड़ेगा।”- “बीजेपी में आंतरिक मनमुटाव ज्यादा था, इसीलिए उसे धूमल का नाम घोषित करना पड़ा। वे एक नाकामयाब सीएम रहे हैं।

आठ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं वीरभद्र

कांग्रेस की तरफ से वीरभद्र सिंह सीएम कैंडिडेट हैं। 83 साल के वीरभद्र सिंह आठ विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।जुब्बल-कोटखाई, रामपुर, रोहड़ू और शिमला ग्रामीण से विधानसभा चुनाव लड़ चुके वीरभद्र ने इस बार अपनी सीट फिर बदल ली है।

इस बार वे अर्की से चुनाव लड़ेंगे।इस बार वीरभद्र की प्रतिष्ठा दांव पर है। हो सकता है कि ये उनका ये आखिरी चुनाव हो। 1990 में वे एक बार जुब्बल-कोटखाई से चुनाव हार चुके हैं।

वीरभद्र सिंह 1983-1990, 1993-1998, 2003-2007 और 2012-2017 के बीच सीएम रहे हैं।

हिमाचल में 27 साल में 60 से ज्यादा सीटें किसी पार्टी को नहीं मिलीं

 

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