पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का अहम बयान

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नई दिल्ली:पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने दुनिया के सामने ये बात कबूल कर ली है कि उनके देश में 30 से 40 हजार आतंकी है। इसी के साथ उन्होंने ये भी दावा किया कि उनकी सरकार देश में जेहाद संस्कृति को खत्म करने की कोशिश कर रही है। ये दोनों बातें इमरान ने अमेरिका यात्रा के दौरान स्वीकार की है। पाकिस्तान की राजनीति में वहां की सेना का काफी अहम रोल रहता है, अब इमरान के कुछ बयानों के बाद पाकिस्तान सेना नाराज हो गई है। इस वजह से पाकिस्तानी सेना और प्रधानमंत्री इमरान खान के बीच की दूरियां बढ़ती जा रही हैं। अमेरिका दौरे पर गए इमरान खान के कुछ कबूलनामे और भारत से संबंधों को लेकर कुछ अहम मौकों पर दिए गए बयानों से पाकिस्तानी सेना और भी चिढ़ गई है।

अनुच्छेद 370 हटने के बाद घुसपैठ की फिराक में आतंकी

भारत के जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद पाकिस्तानी सेना भारत में आतंकियों की बड़े पैमाने पर घुसपैठ कराने की लगातार कोशिश कर रही है। उधर इमरान न ने कई दफा दावा किया कि उनकी सरकार आतंकियों पर कार्रवाई कर रही है। लिहाजा, पाकिस्तानी सेना इमरान से नाराज है। 10 सालों तक अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को अपने देश में छिपाने वाली पाकिस्तानी सेना का इरादा सेना के लोगों को राजनीति के जरिए मुख्यधारा में लाना है। अक्टूबर, 2017 में पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा था कि वह सशस्त्र बल के लोगों को राजनीतिक प्रक्रिया में लाने के लिए एक खास तरह की योजना पर काम कर रहे हैं।

आतंकी संगठनों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश

पाकिस्तान पर नजर रखने वालों का कहना है कि गफूर का मकसद आतंकियों और आतंकी संगठनों को आपस में जोड़कर उन्हें पाकिस्तान की मुख्यधारा में लाने के लिए राजनीतिक क्षेत्र में एक सकारात्मक भूमिका दी जाएगी। इसके विपरीत पिछले साल ही पाकिस्तानी सेना की हेराफेरी से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनने वाले इमरान खान ने हाल ही में मजबूरी में कुछ ऐसे बयान दे दिए कि पाकिस्तानी सेना के जनरल उनके खिलाफ हो गए हैं, जो आतंकी समूहों को बकायदा प्रशिक्षण देते हैं। अब अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने पर इमरान के ऐसे बयानों ने आग में घी डालने का काम किया है। वो इससे और भी नाराज हो गए हैं।

अमेरिका यात्रा पर इमरान का कबूलनामा

अभी हाल ही में पाकिस्तान के आजादी दिवस पर इमरान खान यह भी कुबूल कर बैठे कि भारत गुलाम कश्मीर में बालाकोट से भी बड़ा हमला करने की योजना बना रहा है। पाकिस्तानी सेना को इस बात की पूरी जानकारी है। हमारी जानकारी के मुताबिक भारत की और भी भयावह योजनाएं हैं। इमरान खान के इस कुबूलनामे से भी पाकिस्तानी सेना बेहद नाराज है। चूंकि पाकिस्तानी सेना हमेशा से इस बात से इंकार करती रही है कि बालाकोट के हवाई हमले में भारत को कोई कामयाबी मिली थी। भारतीय हमले को नाकाम साबित करने के लिए पाकिस्तानी सेना ने विदेशी पत्रकारों को भी हमले वाली जगह पर ले जाने का नाटक रचा था। उसका दावा था कि हमले में जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है। जबकि भारतीय वायुसेना ने कहा था कि बालाकोट स्थित आतंकी शिविर पर सटीक निशाना था और कम से कम 200 आतंकी मारे गए थे।

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के बाद पाकिस्तान भारत के आंतरिक मामले का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश कर रहा है। सुरक्षा परिषद में हार के बाद पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया के सामने घड़ियाली आंसू बहाने की कोशिश की लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने पाकिस्तान को गंभीरता से नहीं लिया। जम्मू कश्मीर से जुड़ी फर्जी तस्वीरों और घटिया वीडियो दिखाकर पाकिस्तान बरगलाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया को पाकिस्तान के आरोपों पर भरोसा नहीं है।

आतंकियों पर कार्रवाई का ढोंग कर रहा पाकिस्तान

पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। अब वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के प्रतिबंधों से बचने के लिए अपने देश में पल रहे आतंकियों के खिलाफ फर्जी मुकदमे दर्ज करा रहा है। बता दें कि दुनिया को यह दिखाने के लिए कि वह आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, उसने यह नया तरीका ढूंढा। दरअसल इस तरह की दिखावे की कार्रवाई एफएटीएफ की बैंकॉक में होने वाली अहम बैठक से पूर्व कर रहा है। एफएटीएफ की इस संबंध में आखिरी महत्वपूर्ण बैठक अक्टूबर के पहले हफ्ते में हो सकती है और इस दौरान पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से निकालने, रखने या उसको ब्लैकलिस्ट करने पर फैसला होगा। समाचार एजेंसी एएनआइ को इसी तरह की एक एफआइआर की प्रति मिली है। एक जुलाई को एक एफआइआर गुजरांवाला थाने में दर्ज की गई।

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स दर्ज करवा रहा फर्जी मुकदमे

यह एफआइआर प्रतिबंधित दावत-वल-इरशाद द्वारा की गई एक लैंड डील को लेकर दर्ज की गई। यह संगठन हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही सहायक संगठन है। एफआइआर को इस तरह से ड्रफ्ट किया गया है कि इस मामले की न तो जांच हो सके और न ही वह किसी कोर्ट में ठहर सके। लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद और चार अन्य अब्दुल गफ्फार, हाफिज मसूद, आमिर हमजा और मलिक जफर इकबाल के खिलाफ एफआइआर में इस बात का जिक्र नहीं है कि इन आतंकियों के पास जमीन कब थी। एफआइआर में केवल इतना कहा गया कि लश्कर-ए-तैयबा और दावत-उल-इरशाद आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं। वे आतंकी संगठनों की फंडिंग के लिए धन एकत्र करते हैं। एफआइआर में जमात-उद-दावा या फलाह-ए-इंसानियत का कोई जिक्र नहीं है। दावत-उल-इरशाद के नाम का जिक्र है जो जमात-उद-दावा का पुराना नाम है।

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