अब पुरस्कार फेस देखकर नहीं प्रतिभा देखकर देते हैं: पीएम

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक और इस साल के पहले रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, “अगर आप करीब से ध्यान दें, तो आप देखेंगे कि हमारे बीच में बहुत से महान लोग मौजूद हैं और यह गर्व की बात है कि उनमें से कितने लोग बिना किसी सिफारिश के इतनी ऊंचाई तक पहुंच रहे हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि पद्म पुरस्कारों की प्रक्रिया को कैसे उनकी सरकार ने पिछले तीन साल में बदल कर पारदर्शी बना दिया है, जिसके चलते अब कोई भी इन प्रतिष्ठित पुरस्कारों के लिए नामांकन दे सकता है।

उन्होंने कहा, “चयन प्रक्रिया में अब पारदर्शिता आ गई है। पूरी प्रक्रिया बदल गई है … आपने यह देखा होगा कि अधिक से अधिक सामान्य लोगों को ये पुरस्कार मिल रहे हैं। ऐसे लोग जो आमतौर पर महानगरों, समाचार पत्रों, टीवी पर नहीं दिखाई देते।” उन्होंने कहा, “पुरस्कार प्राप्त करने के लिए उनकी पहचान को नहीं, बल्कि उनके काम को महत्व मिलने लगा है।”

प्रधानमंत्री ने अपनी बात को साबित करने के लिए सुभाषिनी मिस्त्री, लक्ष्मी कुट्टी, भज्जु श्याम समेत पद्म पुरस्कार से सम्मानित किए गए कई लोगों के नाम भी लिए। मोदी ने कहा कि ये सभी लोग सामान्य वर्ग से ताल्लुक रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा कि दो दिन पूर्व ही हमने गणतन्त्र पर्व को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया। इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि 10 देशों के मुखिया इस समारोह में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि देश में हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही है, गौरव बढ़ा रही है।

एकता सूत्र में बांधती है नारी शक्ति

अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावल ने नारी शक्ति को नई ऊंचाई दी। नारी शक्ति देश, समाज को हमेशा एकता के सूत्र में बांधती है। नारी शक्ति हमेशा प्रेरित करती आयी है। पुराणों में कहा गया है कि एक बेटी दस बेटे के बराबर है।

पीएम ने कहा कि आज हम बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात करते हैं लेकिन सदियों पहले हमारे शास्त्रों में, स्कन्द-पुराण में कहा गया है। चाहे वैदिक काल की विदुषियां लोपामुद्रा, गार्गी, मैत्रेयी की विद्वता हो या अक्का महादेवी और मीराबाई का ज्ञान और भक्ति हो, चाहे अहिल्याबाई होलकर की शासन व्यवस्था हो या रानी लक्ष्मीबाई की वीरता, नारी शक्ति हमेशा हमें प्रेरित करती आयी है।

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