एनआईए संशोधन विधेयक को मंजूरी

3728

मत विभाजन में पक्ष में 278 और विरोध में मात्र 6 वोट पड़े

नई दिल्ली: लोकसभा ने सोमवार को ‘एनआईए संशोधन विधेयक 2019’ को मंजूरी दे दी जिसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में मामले का पंजीकरण करने और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है। निचले सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि आज जब देश और दुनिया को आतंकवाद के खतरे से निपटना है, ऐसे में एनआईए संशोधन विधेयक का उद्देश्य जांच एजेंसी को राष्ट्रहित में मजबूत बनाना है।

इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह और एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के बीच नोकझोंक भी देखने को मिली। विपक्ष की शंका का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि इस कानून का इस्तेमाल आतंकवाद को खत्म करने के लिए किया जाएगा, मगर यह भी नहीं देखा जाएगा कि यह किस धर्म के व्यक्ति ने किया है।

‘सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती’

गृह राज्य मंत्री रेड्डी कहा, ‘आतंकवाद का कोई धर्म, जाति और क्षेत्र नहीं होता। यह मानवता के खिलाफ है। इसके खिलाफ लड़ने की सरकार, संसद, सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है।’ रेड्डी ने कुछ सदस्यों द्वारा चर्चा के दौरान दक्षिणपंथी आतंक और धर्म का मुद्दा उठाए जाने के संदर्भ में कहा कि सरकार हिंदू, मुस्लिम की बात नहीं करती है। सरकार को देश की 130 करोड़ जनता ने अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी दी है और जिसे चौकीदार के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वीकार किया है। देश की सुरक्षा के लिए सरकार आगे रहेगी।

रेड्डी ने कहा कि सरकार आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने की जिम्मेदारी हाथ में लेगी। एनआईए को शक्तिशाली एजेंसी बनाया जाएगा। सदन ने मंत्री के जवाब के बाद विपक्ष के कुछ सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इससे पहले विधेयक को विचार करने के लिए सदन में रखे जाने के मुद्दे पर एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मत-विभाजन की मांग की।

278 के मुकाबले विरोध में मात्र 6 वोट

गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि इस पर मत-विभाजन जरूर होना चाहिए। इसकी हम भी मांग करते हैं ताकि पता चल जाए कि कौन आतंकवाद के साथ है और कौन नहीं। मत विभाजन में सदन ने 6 के मुकाबले 278 मतों से विधेयक को पारित किए जाने के लिए विचार करने के लिए रखने की अनुमति दे दी। गृह राज्य मंत्री रेड्डी ने कहा कि इस संशोधन विधेयक का मकसद एनआईए अधिनियम को मजबूत बनाना है।

मजबूत होगी एजेंसी, कानूनी प्रक्रिया में होगी सुविधा

उन्होंने कहा कि आज आतंकवाद बहुत बड़ी समस्या है, देश में ऐसे उदाहरण हैं जब मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री आतंकवाद के शिकार हुए हैं। आतंकवाद आज अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय समस्या है। ऐसे में हम एनआईए को सशक्त बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक एनआईए अदालतों में न्यायाधीशों की नियुक्ति का विषय है तो हम सिर्फ प्रक्रिया को सरल बनाना चाहते हैं। कई बार जज का तबादला हो जाता है, प्रमोशन हो जाता है, तब अधिसूचना जारी करनी पड़ती है और इस क्रम में दो तीन माह चले जाते हैं। हम इसे रोकना चाहते हैं।

पाकिस्तान, पुलवामा, बालाकोट का जिक्र

उन्होंने स्पष्ट किया कि एनआईए अदालत के जजों की नियुक्ति संबंधित हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ही करते रहेंगे, जिस तरह अभी प्रक्रिया चल रही है। गृह राज्य मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के विषय पर केंद्र सरकार राज्यों के साथ मिलकर काम करेगी। दोनों में तालमेल रहेगा। उन्होंने पाकिस्तान के आतंकवाद से संबंधित समझौते पर दस्तखत करने या नहीं करने के सवाल पर कहा कि पुलवामा और बालाकोट हमलों के बाद भारत ने बता दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ जांच कैसे होती है। उनका इशारा सजिर्कल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की ओर था।

समझें कैसे NIA की जांच का दायरा बढ़ेगा

रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस के समय ही एनआईए कानून में कई कानूनों को जोड़ा गया था लेकिन उस समय इस पर ठीक से काम नहीं हुआ और हम संशोधन लेकर इसे उन्नत बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि एनआईए ने 272 मामलों में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की। इनमें 52 मामलों में फैसले आए और 46 में दोष सिद्ध किया जा सका। रेड्डी ने बताया कि 99 मामलों में आरोपपत्र दाखिल हो चुका है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित विधेयक से एनआईए की जांच का दायरा बढ़ाया जा सकेगा और वह विदेशों में भी भारतीय एवं भारतीय परिसंपत्तियों से जुड़े मामलों की जांच कर सकेगी जिसे आतंकवाद का निशाना बनाया गया हो।

उन्होंने कहा कि इसमें मानव तस्करी और साइबर अपराध से जुड़े विषयों की जांच का अधिकार देने की बात भी कही गई है। विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण संशोधन विधेयक 2019 उपबंध करता है कि अधिनियम की धारा 1 की उपधारा 2 में नया खंड ऐसे व्यक्तियों पर अधिनियम के उपबंध लागू करने के लिए है जो भारत के बाहर भारतीय नागरिकों के खिलाफ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाला कोई अनुसूचित अपराध करते हैं।

अधिनियम की धारा 3 की उपधारा 2 का संशोधन करके एनआईए के अधिकारियों को वैसी शक्तियां, कर्तव्य, विशेषाधिकार और दायित्व प्रदान करने की बात कही गई है जो अपराधों के जांच के संबंध में पुलिस अधिकारियों द्वारा न केवल भारत में बल्कि देश के बाहर भी प्रयोग की जाती रही है। इसमें भारत से बाहर किसी अनुसूचित अपराध के संबंध में एजेंसी को मामले का पंजीकरण और जांच का निर्देश देने का प्रावधान किया गया है।

Leave a Reply